आलोकित पथ करो हमारा
हे जग के अंतर्यामी।
शुभ प्रकाश दो, स्वच्छ दृष्टि दो
जड़ चेतन सबके स्वामी।
तुच्छ हमारे मन के प्रभु
दुर्विचार सब दूर करो।
प्रेरित हो हम केवल तुमसे
ऐसी हममें शक्ति भरो।।
तुम्हीं बंधु हो, तुम्हीं पिता हो
तुम्हीं मार्गदर्शक जीवन में।
सत्य और आलोक तुम्हारा
हम उतार लें निज तन मन में।।
अखंडित एकता बोले हमारे देश की भाषा हमारी भारती है हमें यह एक अभिलाषा
हे जग के अंतर्यामी।
शुभ प्रकाश दो, स्वच्छ दृष्टि दो
जड़ चेतन सबके स्वामी।
तुच्छ हमारे मन के प्रभु
दुर्विचार सब दूर करो।
प्रेरित हो हम केवल तुमसे
ऐसी हममें शक्ति भरो।।
तुम्हीं बंधु हो, तुम्हीं पिता हो
तुम्हीं मार्गदर्शक जीवन में।
सत्य और आलोक तुम्हारा
हम उतार लें निज तन मन में।।
अखंडित एकता बोले हमारे देश की भाषा हमारी भारती है हमें यह एक अभिलाषा
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on रविवार, 3 जून 2012
at 9:16 pm
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