हिमालय  

Posted by Satyajeetprakash in



खड़ा हिमालय बता रहा है
डरो न आंधी-पानी में
खड़े रहे तुम अविचल होकर
हर संकट तूफानी में

डिगो न अपने प्रण से तुम
सब कुछ पा सकते हो प्यारे
तुम भी ऊंचे उठ सकते हो
छू सकते हो नभ के तारे

खड़ा रहा जो अपने पथ पर
लाख मुसीबत आने पर
मिली सफलता जग में उसको
जीने में मर जाने में

This entry was posted on मंगलवार, 16 मार्च 2010 at 2:31 am and is filed under . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

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