होली आई होली आई
रंग अबीर भरे झोली में
अलमस्तों की टोली आई
होली आई होली आई
ले लो ढोल मंजीरा झाल
गाएं होली दे दे ताल
होली में हम भरे गुलाल
हो गुलाल से धरती लाल
आज न कोई राजा रानी
आज न कोई पंडित ज्ञानी
सब मिलकर है रंग उड़ाते
गले लगाते प्यार जताते
हम भी अपने घर से
पिचकारी ले आएं
घर घर जाएं रंग लगाए
पूरी और मिठाई खाएं
हिलमिल खाएं और खिलाएं
This entry was posted
on रविवार, 18 मई 2008
at 10:53 pm
and is filed under
कविता,
बाल कविता
. You can follow any responses to this entry through the
comments feed
.