बच्चों का संसार  

Posted by Satyajeetprakash in

मधुर हम बच्चों का संसार

जहां किसी से द्वेष नहीं है

तनिक पाप का लेश नहीं है

हृदय-हृदय में फैल रहा है

केवल निर्मल प्यार

मधुर हम बच्चों का संसार


मानव से क्या पशु से खग से

हमें प्रेम सारे अग-जग से

नस-नस में हो रहा हमारी

ममता का संसार

मधुर हम बच्चों का संसार


तूफानों में हम दौड़ लगाते

बादल देख नाचते गाते

सभी खुशी देते हैं हमको

शूल फूल अंगार

मधुर हम बच्चों का संसार

This entry was posted on रविवार, 18 मई 2008 at 10:52 pm and is filed under . You can follow any responses to this entry through the comments feed .

5 टिप्पणियाँ

☺ 4th standard me padhi bahut hi Madhur kavita. Still remember.

8 जुलाई 2017 को 1:31 pm बजे

आज मैं 67 वर्ष का हूँ,इस कविता को देख और पढ़ अपना बचपन याद आ गय और स्कूल के दिनों में खो गया.

3 दिसंबर 2018 को 7:32 pm बजे

Very good

23 जनवरी 2020 को 9:38 pm बजे

Purani yaad taza ho gai. barish mei besudh ho kar nahana. shetaniya sub

14 अगस्त 2020 को 9:21 pm बजे

रचनाकार कौन है

24 अक्तूबर 2021 को 11:27 am बजे

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